Haldwani News Live Update: उत्तराखंड के हल्द्वानी में भयानक हिंसा हुई है। अवैध तरीके से बने मदरसे और मस्जिद के खिलाफ नगर निगम की कार्रवाई के विरोध में उतरी भीड़ ने जमकर पथराव किया।
Haldwani Violence News Live: उत्तराखंड के हल्द्वानी में भयानक हिंसा हुई है। अवैध तरीके से बने मदरसे और मस्जिद के खिलाफ नगर निगम की कार्रवाई के विरोध में उतरी भीड़ ने जमकर पथराव किया। लोगों ने पुलिसकर्मियों और प्रशासन को निशाना बनाना शुरू कर दिया। जगह-जगह तोड़फोड़ और आगजनी हुई। सैकड़ों पुलिसकर्मियों समेत 300 से ज्यादा लोग घायल हुए तो सुबह तक 6 लोगों की मौत की भी सूचना थी। हालांकि, नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने दो लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। सुबह हल्द्वानी में हर तरफ तबाही के निशान दिखे। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उपद्रवियों के खिलाफ सख्त ऐक्शन का आदेश दिया है। राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को हल्द्वानी भेजा गया है। इस बीच पुलिस ने हिंसा में शामिल रहे लोगों के खिलाफ ऐक्शन का आगाज कर दिया है।
हालात को संभालने के लिए आसपास के जिलों से फोर्स बुलाई गई है तो सेंट्रल फोर्स की भी तैनाती की गई है। पीएसएसी को भी मोर्चे पर लगाया गया है। डीएम ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं। हल्द्वानी शहर में सख्त कर्फ्यू लगा दिय गया है। शहर में अस्पताल और दवा की दुकानों को छोड़कर बाकी सब बंद रखने का आदेश दिया गया है। स्कूल-ऑफिस और बाजार सबकुछ पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। शहर में पेट्रोल पंप तक बंद हैं। हल्द्वानी में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। लोगों को घरों से निकलने से मना किया गया है। यहां हम आपको हल्द्वानी का पल-पल का हाल बताएंगे।
खास बातें
Uttarakhand Haldwani News Live Updates: हल्द्वानी के बनभूलपुरा में गुरुवार शाम को अतिक्रमण हटाने को लेकर बवाल हो गया। जिसके बाद प्रशासन ने देर शाम उपद्रवियों के पैर में गोली मारने के आदेश जारी किए। इस दौरान छह लोगों की मौत हो गई। प्रशासन ने शहर में कर्फ्यू लगा दिया है। यहां पढ़ें पल-पल का अपडेट…
कोटद्वार में पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर
हल्द्वानी की घटना के बाद कोटद्वार में पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर है। हर संदिग्ध व्यक्ति पर नजर रखी जा रही है। माहौल खराब ना हो इस पर भी पूरी निगाह रखी जा रही है। पौड़ी जिले के तमाम पुलिस स्टेशनों से थानों से फोर्स को कोटद्वार बुला लिया गया है।
एक-एक दंगाई की पहचान कर कार्रवाई की जाए
मुख्यमंत्री धामी ने बुलाई उच्च स्तरीय बैठक
बता दें कि बनभूलपुरा वही इलाका है जहां पिछले साल रेलवे की भूमि पर बसी 50 हजार की आबादी वाली बस्ती को खाली कराने का हाई कोर्ट ने आदेश दिया था। पुलिस-प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए पूरी तैयारी भी कर ली थी। इसी बीच मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और वर्तमान में विचाराधीन है।
मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बनभूलपुरा के मलिक का बगीचा में पिछले दिनों नगर निगम और प्रशासन की टीम अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए पहुंची थी। इस दौरान यहां अवैध मदरसा और नमाज स्थल भी मिला। गुरुवार दोपहर सवा चार बजे करीब पुलिस, प्रशासन और नगर निगम की टीम बुलडोजर लेकर अतिक्रमण तोड़ने पहुंची थी।
प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के अलावा पुलिस व निगम कर्मचारी मिलाकर करीब 700 लोगों की फोर्स थी, लेकिन जैसे ही बुलडोजर और टीम आगे बढ़े। चारों तरफ से पथराव शुरू हो गया। देखते ही देखते करीब 10 हजार से अधिक मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ जुट गई।
सड़क से लेकर घरों की छतों से पत्थर बरसने लगे। एसडीएम कालाढूंगी रेखा कोहली, एसपी हरबंस सिंह, एसओ प्रमोद पाठक समेत पुलिस, निगमकर्मी संग पत्रकारों को पत्थर लगे। छह बजे तक बवाल पूरे क्षेत्र में फैल चुका था। भारी संख्या में उपद्रवी बनभूलपुरा थाने पहुंच गए। जहां उन्होंने थाने के बाहर खड़े पुलिस व मीडियाकर्मियों के एक दर्जन से अधिक वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा अलग-अलग इलाकों में 50 से अधिक वाहन जलाए गए हैं। इसमें पीएसी व पुलिस की दो बस, सड़कों पर खड़े चौपहिया व दोपहिया वाहन शामिल हैं। दर्जनों वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया है।
बनभूलपुरा मामले में हाई कोर्ट का राहत देने से इनकार
हाई कोर्ट ने हल्द्वानी में बनभूलपुरा क्षेत्र के मलिक का बगीचा व अच्छन खान के बगीचे में अतिक्रमण ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता साफिया मलिक व अन्य को किसी तरह की राहत नहीं देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 14 फरवरी नियत कर दी है।
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यह मामला इतना संवेदनशील था कि सरकार की ओर से महाधिवक्ता व अन्य सरकारी अधिवक्ता पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह भूमि बिना कमिश्नर की अनुमति के कई बार हस्तांतरित की गई है, जबकि यासीन मलिक को यह भूमि कृषि उपयोग के लिए दी गई थी। शर्त थी कि इसमें बिल्डिंग नहीं बनाई जाएगी। यह भूमि ट्रांसफर नहीं हो सकती, लेकिन फिर भी बिक्री कर दी गई, जो नियम विरुद्ध है।
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याचिकाकर्ता का कहना था कि उनके पास 1937 की लीज है, जो मलिक परिवार से मिली है। सरकार इसमें कब्जा नहीं ले सकती। नगर निगम की ओर से जारी नोटिस में मदरसे को अवैध बताते हुए ध्वस्त करने को कहा गया है।